नारी को अपमानित करने वालों की  हस्ती मिट जाने का ही इतिहास है

नारी को अपमानित करने वालों की 
 हस्ती मिट जाने का ही इतिहास है




कृब्ण देव (के डी ) सिंह
              मेरा यह पोस्ट राजनैतिक के बजाय सनातन हिन्दु घर्म द्वारा स्थापित घार्मिक ,सामाजिक तथा नैतिक मुल्यों पर आघारित है।मेरी जानकार के अनुसार हिन्दुत्व में प्रमुख रन्प से पांच सम्प्रदाय 1*शैव2*शाक्त३*वैश्णव4,*सौर5*गाणपत्य है।सभी ने नारी जाति को अपमानित करने की कठोरता से मना किया गया है तथा स्त्री को लक्ष्मी,काली,सरस्वती ,सीता आदी कहकर पूजा के योग्य कहा और माना गया है।स्त्री का अपमान अनिष्ठकारी भी कहा गया है। सनातन हिन्दुत्व के रक्षा के लिए  प्रमुख घर्मरक्षक1*शंकराचार्य2*महामंडलेश्वर3*मठाधीश5*पांचों सम्प्रदाय को मानने वाले साधु ,संत और महंत यादि को माना और जाना जाता है। घर्म कहता है कि राजपुरूष व सत्ताघारी जब घर्म के विस्द्ध आचरण करने लगे तब घर्मध्वज घारकों को सत्ताघारियों के विस्द्ध घर्मदण्ड का प्रयोग कर उन्हें घर्म के रास्ते पर लाना चाहिए और फिर भी सत्ताघारी सही रास्ते पर न आये तो ऐसे अघर्मिक कृत करने वालों तथा उसे संरक्षण देने वालों  को सत्ताविहीन कर देना चाहिए।यदि ऐसा है तो धर्मध्वज वाहकों की रहस्यमयी चुप्पी कहाँ तक उचित है?विचार किया जाना क्या उचित नही है?
       मेरा भी सोनिया गांधी जी को एक स्त्री के नज़रिये से देखने की कोशिश है ।सोनिया जी के जीवन पर  नजर डालें तो उनका पूरा जीवन  त्रासदी से भरा है।वर्षों से वो केवल एक अदद मां बन कर रह गयी है ।शादी के कुछ साल बाद ही मां जैसी सास का गोलियों से छलनी शरीर जिसकी गोद मे आ जाए, टुकड़ो में जिसने पति की लाश देखी हो उसकी पीड़ा को क्या कोई महसूस कर सकता है ?आख़िर सोनिया -राजीव ने ऐसा क्या पाप किया? एक दूसरे से प्रेम किया, विवाह किया और विवाह के इतने वर्षों बाद भी भारतीय बहू के सारे धर्म व कर्म निभा रही है , लेकिन उसे क्या दिया गया अपमान और तिरस्कार ।विवाह के बाद एक स्त्री की पहचान उसकी ससुराल से होती है यही है न ?हमारी भारतीय संस्कृति?
 फिर इस मामले में हमारी संस्कृति इतनी दोमुंही कैसे हो गई?किस मुंह से हम वासुधेव कुटुम्बकम का जाप करतेहैं। जब अपने ही देश की उस बहू को हम आजतक नही अपना पाए जिसने अपनी पूरी उम्र हमारे देश मे  गुज़ार दी।सुषमा स्वराज एक स्त्री ही थीं  लेकिन एक स्त्री होकर सोनिया के विदेशी मूल का जो बार-बार  ज़िक्र किया वो हमारी सनातन घर्म और परापरा की गरिमा के ख़िलाफ़ नहीं था?उस स्त्री ने हमारे देश को अपनाया,हमारी भाषा सीखी,मॉडर्न परिवेश में पली स्त्री के सर से आज भी किसी रैली में पल्लू नही गिरता और हमने उसे क्या दिया ?
       सोनिया इटली की वेश्या थी(सुब्रमनियम स्वामी),सोनिया जरसी गाय है(मोदी),सोनिया विदेशी नस्ल की है इसलिए देशभक्त पैदा नही कर सकती(कैलाश), वगैरा-वगैरा।ऐसे लोग खुद को हिन्दू कहते हैं? बोलते हैं कि हमारे यहां स्त्री की पूजा होती है कितने धूर्त और मक्कार है ?।अब अगर मैं पलट के पूंछ लिया जावे  कि सोनिया जी ने तो सालों से बहू का धर्म निभा रही है लेकिन हिन्दू  सम्राट ने अपनी शादी के 7 वचन निभाये?चुनाव नही होता तो देश जान ही नही पाता कि इनका विवाह भी हुआ है।अपने पति के हत्यारो को माफ़ करने का कलेजा एक भारतीय स्त्री में ही हो सकता।पूर्ण बहुमत की सरकार में भी न ख़ुद पीएम बनी न राहुल को बनाया क्यो ,कौन उन्हें रोक सकता था?
इतना अपमान और तिरस्कार सह कर भी कभी पलट के अमर्यादित टिप्पणी नही की।राजीव गांधी जी की लाश जब मद्रास लाई गई,जब सोनिया दिल्ली से मद्रास आयी तो उन्होंने दो ताबूत देखे एक राजीव गांधी का था जिस पर फूल चढ़े थे ।दूसरा उनके अंगरक्षक का था जिस पर कुछ नही था ।उस दुख की घड़ी में भी उन्हें इतना याद रहा कि तुरंत उन्होंने एक अधिकारी को बुलाया और कहा कि उस पर भी फूल चढ़ाओ उन्होंने मेरे पति के लिए जान दी है।क्षमा,दया,करुणा जो भारतीय स्त्री के आभूषण है उसमे से क्या उनके पास नही है?लेकिन फिर भी उनका अपमान और तिरस्कार शीर्ष के नेता से लेकर व्हाट्सअप्प यूनिवर्सिटी के जाहिल तक करते रहे। राजनीति. का इतना पतन हो गया है की लोग एक स्त्री की गरिमा को ही भूल गए। ये प्रज्ञा ठाकुर,साध्वी प्राची,पूजा शकुन पर गर्व कर सकते लेकिन सोनिया गांधी को अपमानित करेंगे।दरअसल सोनिया जी ने तो भारतीय संस्कृति निभाई लेकिन इन लोगो ने दिखाया कि वे अपने मूल में कितने कट्टर,जातिवादी,रंगभेदी,नस्लभेदी व कितने धूर्त हैं,संस्कृति की खोल में छुपे सबसे अश्लील समाज के हैं।
                    कौन है आखिर पप्पू  ?
राहुल गांधी ने कहा था पंजाब में ड्रग्स  भारी समस्या है। इस पर आकाली दल ने उनकी हंसी उड़ाई, लेकिन उनका कथन सही साबित हुआ और अकाली दल पंजाब चुनाव हार गया।राहुल गांधी ने कहा भारतीय अर्थव्यवस्था भारी मंदी में है और सिर्फ एनवाईएवाई  के ज़रिए इसे वापस पटरी पर लाया जा सकता है। हाल ही में प्राप्त आंकड़े साबित करते हैं कि वो सही थे।
राहुल गांधी ने कहा राफैल जेट की खरीद में भारी घोटाला हुआ है। उन्होंने कहा कि चौकीदार चोर है और हाल ही में अनिल अंबानी की स्वीकृति कि वो कंगाल है। दूसरे देशों द्वारा अच्छे लडाकू जेट (5वी पीढ़ी) काफी कम कीमत पर खरीदना(35 to 50% सस्ते), सबूत है कि राहुल गांधी सही थे।राहुल जी ने कहा 'सूट बूट की सरकार', और  वो फिर सही साबित हुए।क्योंकि  सरकार ने सिर्फ पूंजीपतियों के लिए काम किया, उन्हें मुकदमों से बचाया,   चुनावी बांड के ज़रिए उनसे धन लिया और भारतीय बैंकों के पैसे हडप कर देश से बाहर भागने दिया, और किसानों, भूतपूर्व सैनिकों के एक रैंक-एक-पेंशन जैसे मुद्दों पर ।किसी को सुने बगैर  मर्जी से उन्हें करों में छूट दी। आज सरकार के पास  कोरोना से बचाव करने के भी पैसे नहीं है सारा पैसा कौन खा गये हैं या रिजर्व पैसे भी चट कर चुके है?
       राहुल गांधी ने कहा था भारतीय नौजवान बेरोजगारी की भारी समस्या से गुजर रहे हैं, सरकार ने फिर उनकी हंसी उडाई। अब जो आंकड़े उपलब्ध है बताते हैं कि देश में बेरोजगारी 45 साल के उच्च स्तर पर है।अब और अगर कोराना के बाद जो देश भुखमरी से त्रस्त होगा , ना रोजगार होगा , ना कंपनिया होंगी आने वाले 6 महीने में मोदी जी  आप देखेंगे कि उनकी भविष्यवाणी सही साबित होगी। तो इन सब के बीच पप्पू कौन है?राहुल गांधी या मोदी या वो लोग जो मोदी को सपोर्ट करते हैं?राहुल गांधी में एक कमी है उन्हें ड्रमामेबाजी और झूठ बोलने की कला नहीं आती।और हम उम्मीद करते हैं कि वो ऐसे ही रहें। भविष्य में उनको पसंद किया जाएगा और  अब वो  प्रघान मंत्री प्रत्यासी के तौर पर उभर चुके हैं । यह भारत के लिए शुभ संकेत होगा। 
       मैने राहुल गांधी की पूरी प्रेस मीट देखी और मेरा उनपर विश्वास और दृड़ हो गया।क्योंकि कई बिन्दुओ पर है..ये प्रेस मीट ऐतिहासिक था। इकॉनमी पर राहुल सबसे नीचे की तबकों की बात कर रहे है।यानी ग्रामीण स्तर सेआर्थिक बहाव बना कर उच्चतम स्तर तक।इससे अच्छा  और कोई तरीका नही है इकॉनमी को सुधारने का?प्रवासी मजदूरों के मुद्दों पर मानवीय दृष्टिकोण और उनकी सामाजिक सुरक्षा पर राहुल के सुझाव सरकार को लागू करना चाहिए।एनवाईएवाई,एमएसएमई का पैकेज, स्ट्रेटेजिक इंडस्ट्री की सुरक्षा।.ये देश की 135 करोड़ जनता के भविष्य की सुरक्षा का मुद्दा है।उन्होंनेकहा हर हफ्ते लगभग 15 किलो राशन।मैं बारबार लिख रहा हूँ कि 80 मिलियन टन अनाज है और ये सम्भव है।
 वायरस के पीछे नही भाग कर वायरस के आगे चलना, यानी टेस्टिंग और केवल टेस्टिंग। फाइनेंसियल सिस्टम की सुरक्षा यानी हमारी संस्थाओं को बिकने से रोकना और उन्हें फंडिंग करना। नौकरी एमएसएमई से ही आएगी..40% एमएसएमई 80% नौकरी देते है।इन्हें बचाना है तो खजाना खोलिए। धार्मिक विभाजन नही एकता चाहिए वरना हम हार जाएंगे।
     जवाहर लाल नेहरुजी,श्रीमती इन्दिरा गाँधी,राजीव गाँधी की सोच और डॉ मनमोहन सिंह की कार्यप्रणाली राहुल जी की विरासत है।लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में राहुल का भाषण और आजकी प्रेस मीट में मुक्ष जैसे हजारों लोगों को उनमें  एक स्टेट्समैन और परिपक्कव अर्थशास्त्री दिखा।मैंने आज राहुल से अर्थशास्त्र पर बहुत कुछ सीखा और समक्षा।
जय हिन्द!
बुघवार बहुमाध्यम समुह