महादानी दाऊ कल्याण सिंह अग्रवाल
जी का नाम कहीं खो गया है
कृष्णदेव (केडी) सिंह
रायपुर की वैसे तो अनेक यादे है लेकिन दाऊ कल्याण सिंह अग्रवालजी के जैसा महादानी कम से कम घत्तीसगढ़में शायद ही को३ि दुसरा होगें।मेरा परिचय इस नाम से सन् 1975से है और इस अवधि में मैं अपने कुछ गिने चुने मित्रों के साथ अक्सर रविवार को डी के अस्पताल के प्रांगण में स्थापित इंडियन काफीहाउस में संध्या गुजारताथा । यहीं मैने जाना छत्तीसगढ़ की पावन धरा के महादानी दाऊ कल्याण सिंह जी को. क्योंकि रायपुर शहर का प्रतिष्ठित डी के हॉस्पिटल इन्ही के नाम पर है था और अब भी है।उन दिनों रायपुर का चिकित्सा महाविद्यालय वर्तमान आयुर्वेदिक महाविघालय के केम्पस में ही लगता था जो वाद में अपने जेल रोड स्थित भवन में स्थानान्तरण हुआ।कालान्तर में काफी हाउस वंद हो गया तो हमारा वहां जाना भी वंद हो गया।डीके अस्पताल से मेरी एक और याद जुडी है वह यह कि तेलघानी नाका में ओभरब्रीज बनाने के लिए हमने अमरण अनशन 1985में किया था तब उसी अस्पताल में भत्ती किया गया था तथा उसी दिन मुक्षे बडे सुपुत्र स्व० श्री विक्रम सिंह के जन्म लेने सम्बन्धी टेलीग्राम मिला था।वाद में जब छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना तो इसे सचिवालय बना दिया गया लेकिन नया रायपुर में महानदी भवन बनने के वाद इसे नया स्वस्प देकर पुनः अस्प
ताल बना दिया गया है।खैर
दाऊ कल्याण सिंह अग्रवाल जी का जन्म 04/04/1876 को हुआ था।दाऊ जी को लोग सिर्फ डी के अस्पताल की जमीन के दानदाता के रूप में जानते हैं, पर ये परिचय इस महान दानदाता के लिए काफी नहीं है।
आज का एम्स अस्पताल भी दाऊ जी की दान की हुई जमीन पर ही बना है।दाऊ जी ने 1944 में डी के अस्पताल वाली जमीन के साथ में भवन निर्माण के लिये 1,25,000/- नगद (वर्तमान की गणना में लगभग 70 करोड़) भी दिये थे, लभान्डी की जमीन के साथ कृषि महाविद्यालय और गरीब छात्रों के हास्टल निर्माण के लिए 112000/- (वर्तमान के लगभग 62 करोड़ रूपये), टी.बी.अस्पताल के लिए 323 एकड़ जमीन, रायपुर जगन्नाथ मंदिर के खर्चे के लिये संपूर्ण खैरा ग्राम का दान,कृषि पर रिसर्च के लिये बरोंडा ग्राम में जमीन, भाटापारा में कृषि विज्ञान हेतू विशाल जमीन, भाटापारा में अकाल के समय कल्याण सागर जलाशय का निर्माण, भाटापारा में विशाल मवेशी अस्पताल,गरीबों के लिये पुस्तकालय का निर्माण जैसे अनेकों पुण्य कार्य इस महादानी ने कियेहै।
छत्तीसगढ़ के बाहर भी इस पुण्यात्मा ने अनेकों महादान किये जिसमें प्रमुख हैं नागपुर के लेडी ईरविन हास्पिटल के निर्माण में सहयोग, सेन्ट्रल महिला कॉलेज के निर्माण में मुख्य दान, बिहार के भूकंप में महादान,वर्धा की भयंकर बाढ़ में दिल खोलकर दान दिया।दाऊ कल्याण सिंह अग्रवाल आज के बड़े उद्योपतियों से कई गुना ज्यादा धनवान थे।उन्होंने 1937 में लगभग 70000/- राजस्व पटाया था।(आज की गणना में लगभग 39 करोड़ से अधिक)।आज इस महादानी,छत्तीसगढ़ के गौरव का नाम कहीं खो गया है ।खुद छत्तीसगढ़ के वासी भी इस महान माटीपुत्र के बारे में ज्यादा या कुछ भी नहीं जानते।मुक्षे एक फेसबुक मित्र के वाल पर उनके वारे में उपरोक्त जानकारी मिली।सोचा शासन,प्रशासन व जागरन्क घत्तीसगढ़ और विशेषकर रायपुर के निवासियों का स्मरण कराते चलू कि दाऊ कल्याण सिंह अग्रवाल जी की स्मृति अक्षुण्य ररवने के लिए और छत्तीसगढ़ के झ्स महादानी को उचित स्थान व मान देवों।
जय जोहार। जय छत्तीसगढ़।जय हिन्द!
बुघवार बहुमाघ्यम समुह
महादानी दाऊ कल्याण सिंह अग्रवाल जी का नाम कहीं खो गया है