टी एस सिंहदेव भी वगाबत करेगें?
कृष्ण देव( के डी ) सिंह
रायपुर / 14मार्च2020.मध्य प्रदेश में महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद लोगों की निगाहें छत्तीसगढ़ के “महाराज ” पर टिक गई है | दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस के 52 से ज्यादा विधायक महाराज के समर्थक है | इनमे से 40 तो कट्टर रूप से महाराज की जय जयकार करने का दावा करते है क्योंकि विघान सभा चुनाव में टीएस सिंहदेव को सरगुजा के अतिरिक्त प्रदे१ा के सभी आदिवासी क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई थी।क्योकि मध्यप्रदेश में डावाडोल होती कांग्रेस की सरकार के बाद राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सत्ता को लेकर भी कयास लगाये जा रहे हैं।जिसे हवा देने का काम खुद वयान देकर किया क्योंकि उसकी भाषा कासंकेत चेतावनी है?
मध्यप्रदेश का सुरते हाल देखकर , छत्तीसगढ़ में डा० रमन सिंह सरकार के सबसे ताकतवर सेक्स वीडियों वाले वहुचर्चित पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने तो यहां तक कह डाला था कि छत्तीसगढ़ के महाराज के पीछे भी तकरीबन 40 विधायक हैं |श्री मूणत के बयान के पीछे की कुटनीति को भाजपा की रणनीति के रन्प में समक्षा गया तथा उसे खाद - पानी देने का कार्य पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के सुपुत्र अमित जोगी ने ट्यूटर पर ट्यूट कर दे दिया। उधर, अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच दरार को लेकर चर्चाओं का बाजार और गरम हो गया | जयपुर और बीकानेर में कांग्रेसी विधायकों की बैठके राजनैतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है | कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के रुख में बदलाव नहीं आया , तो जल्द ही यहां भी राजनीति करवट ले सकती है | सचिन पायलट काफी सक्रिय हो गए है |
अपनी प्रतिक्रिया में मध्यप्रेदश के राजनैतिक संकट के बीच छत्तीसगढ़ में सरगुजा के महाराज और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टी.एस सिंहदेव ने साफ कर दिया कि ग्वालियर के ‘महाराजा’ की तरह वे पाला बदलने वाले नहीं है | उन्होंने कहा, जिन्हें लगता है कि छत्तीसगढ़ की सत्ता में भी मध्यप्रदेश जैसा घात हो सकता है तो वे एक बात समझ लें कि यहां ऐसा होना मुमकिन नहीं है |लेकिन उनकी निकटवर्ती सूत्र के अनुसार टीएस सिंहदेव ने मध्यप्रदेश ग्रामीण विकास की समीक्षा बैठक में हिस्सा लेने के बावजूद मध्यप्रदेश के राजनैतिक घटनाक्रम पर अपनी निगाहें गड़ायें रखी थी और वे पल = पल की खबरप्राप्त कर रहे थे। टीएस सिंहदेव ने इस बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि मनरेगा में अच्छा प्रदर्शन कर छत्तीसगढ़ ने नए बेंचमार्क स्थापित किये है | उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए अफसरों को गांव का नियमित भृमण करना चाहिए
दरअसल 2018 में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बीजेपी की रमन सरकार की विदाई के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए भूपेश बघेल के अलावा नाम टी.एस. सिंहदेव का भी लिया जा रहा था | हलांकि मुख्यमंत्री की दौड़ में मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष चरण दास महंत और दुर्ग के तत्कालीन सांसद ताम्रध्वज साहू का नाम भी सुर्खियों में रहा | क्योंकि विधानसभा चुनाव में पार्टी की रणनीति बनाने से लेकर चुनावी घोषणापत्र बनाने में सरगुजा महाराज को अहम जिम्मेदारी सौंपी गई थी |चर्चा है कि उन्होंने एक जाने माने व्यवसायी का भी सहयोग कांग्रेस को दिलाकर अपना दावा पुख्ता करने की भरपुर कोशिश की थी जिसमें उनकी सहायता दस जनपथ के निकटता ररवने वाले राजपरिवारों ने भी सहायता किया था।लेकिन वात बन नहीं पाई।यही कसक दर्द बनकर उनको और उनके समर्थकों को कचोटता रहता है।
छत्तीसगढ़ के राजनैतिक चर्चाओं के मुताबिक राज्य में चुनाव के दौरान घर-घर जाकर असल मुद्दों को तलाशने और उन्हें चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने की सिंहदेव की रणनीति था कि प्रदेश में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की | हालांकि भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपे जाने के फैसले के बाद टी.एस.सिंहदेव के समर्थकों ने जमकर नाराजगी भी जताई थी |लेकिन कुछ वक्त बाद मामला शांत पड़ गया था | महाराज ने भी अपने कार्यकर्ताओं को फौरन शांत कर दिया था | लेकिन कौरना वायरस को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की आपात बैठक में उन्हें नहीं बुलाकर नये संकेत दिये गये
।हलांकि यह मुख्यमंत्री का विशेषाघिकार है कि बैठक में किसे बुलाय और किसे नही।वैसे पूर्व मुख्य मंत्री कई बैठकों में ऐसा पहले भी कर चुके है।लेकिन फिर क्या था श्री सिंहदेव ने भी राजनीतिक रहस्यमय संकेतों में खरा वयान देकर पार्टी हाईकमान को अपने इरादे से अवगत करा दिया।
हलांकि प्रत्यक्ष तौर पर मध्यप्रदेश की सत्ता में ग्वालियर महाराजा की कवायत के बाद सरगुजा स्टेट के महाराज टी.एस. सिंहदेव ने इन कयासों पर विराम लगाते हुए कहा कि ”लोग कयास लगा सकते हैं | लेकिन मैं कभी भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन नहीं करुंगा | यहां तक कि सौ जन्म भी मुझे मिलें तब भी मैं बीजेपी की विचारधारा नहीं अपनाऊंगा | एक व्यक्ति अगर इसलिए अपनी पार्टी छोड़ता है कि वह अपनी पार्टी में मुख्यमंत्री नहीं बन पाया तो मुझे लगता है कि उसे कभी मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहिए|” उन्होंने कहा कि सरगुजा की राजमाता और पूर्व मंत्री देवेंद्रकुमारी सिंहदेव और भी कांग्रेस की लोकप्रिय नेता रही हैं | लेकिन आज की राजनीति में नेताओं के लिए वयानों को पलटते कितना देर लगता है?
दरअसल, छत्तीसगढ़ में मध्यप्रदेश एपिसोड की चर्चा उस समय तेज हो गई जब भाजपा के पूर्व मंत्री राजेश मूणत के एक तंज “कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्री टी.एस. सिंहदेव के साथ 40 विधायक” होने की बात कहने के फौरन बाद जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के फैसले पर छत्तीसगढ़ सरकार को एक सलाह दे डाली ।उन्होंने
छत्तीसगढ़ के जनादेश को समझते हुए सामूहिक नेतृत्व की बात कही थी।15 महीनों में इस सामूहिक नेतृत्व का गला घोटने में कोई कसर नहीं छूटी है।एक को छोड़ बाक़ियों की क्या दुर्गति हुई है,किसी से छिपी नहीं है।
अमित नेअपने ट्वीट में लिखा कि “मध्यप्रदेश की गलतियों से छत्तीसगढ़ कांग्रेस को सीख लेनी चाहिए”| इसके साथ उन्होंने एक तस्वीर पोस्ट करते हुए यह भी लिखा था छत्तीसगढ़ का तथाकथित सामूहिक नेतृत्व केवल इस तस्वीर में दिखने को मिलता है, वर्तमान में साहू, शहरी और सरगुजा तो पूरी तरह से गायब हैं! बहुमत कितना भी विशाल क्यों न हो, उसे लोकतंत्र अहंकार और तानाशाही में बदलने व छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया बनने में देरी नहीं लगेगा। साथ ही उन्होंने टीएस सिंहदेव और सचिन पायलट को इस ट्वीट में टैग किया था |
इस ताजा राजनैतिक ट्वीट के बाद टीएस सिंहदेव का यह बयान सामने आया जिसमें उन्होंने
ज्योतिरादित्य के पार्टी छोडऩे पर तीखी प्रतिक्रिया दी।
एमपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने पर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि एक व्यक्ति हमेशा कप्तान नहीं रहता। जहां गावस्कर के रहते कपिल देव को मौका मिला। वर्तमान में विराट कोहली कप्तान हैं। अगर उन्हें कप्तान नहीं बनाया जाता तो क्या वो पाकिस्तान की टीम में शामिल हो सकते हैं?भले ही मुझे सौ जीवन मिले,भाजपा में नहीं जाऊंगा
श्री सिंहदेव ने सिंधिया के पार्टी छोडऩे पर मीडिया से चर्चा में कहा कि किसी का भी बिछडऩा दुखद होता है। सिंधिया पर उन्होंने कहा कि पार्टी ने जिसके लिए इतना सबकुछ किया ऐसे में कांग्रेस के वरिष्ठ व्यक्ति का भाजपा में जाना समझ से परे है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ज्योतिरादित्य के पिता कांग्रेस के करीबी रहे। ज्योतिरादित्य खुद 18 साल कांग्रेस में रहे। हर जगह पार्टी ने उन्हें तवज्जों दी। मध्यप्रदेश की सरकार में 8 मंत्री उनकी सलाह पर थे। उन्होंने कहा कि कैसे कोई व्यक्ति ऐसी पार्टी में जाकर काम करेगा। जिसकी कमियों को निकालने का काम उसने किया है। सिंहदेव ने कहा कि लोग दावे कर सकते हैं, लेकिन मैं कभी भाजपा में शामिल नहीं होऊंगा। भले ही मुझे सौ जीवन मिले, मैं उस विचारधारा से कभी नहीं जुडुंगा।
*बुघवार बहुमाध्यम समुह