क्षुठी खबरों पर कड़ी कार्यवाही की चेतावनी

क्षुठी खबरों पर कड़ी कार्यवाही की चेतावनी


बुघवार*स्ट्राइकर
रायपुर / छत्तीसगढ़ में झूठी खबरों को लेकर शासन / प्रशासन सक्रिय हो गई है | देर से ही सही राज्य में झूठी खबरों के प्रचार-प्रसार को लेकर सख्त कदम उठाने की चेतावनी दी है | सिर्फ आम जनता ही नहीं मीडिया जगत ने भी सरकार के इस कदम की सराहना की है | लेकिन सरकार की कार्रवाई सिर्फ फेक न्यूज पर सिमट के रह जाने से सवालों के घेरे में है | दरअसल फेक न्यूज पर जब कार्रवाई तय है तो सत्य खबरों पर क्यों नहीं ? फिर इसकी गांरटी क्या है कि इसका सद उपयोग ही होगा?दुस्पयोग करने वाले और क्षुठी शिकायत करने वालों पर क्या कार्यवाही होगा और कौन कार्यवाही करेगा  ?यह सवाल तेजी से उठ रहा है | छत्तीसगढ़ की आम जनता को उम्मीद है कि फेक न्यूज पर लगाम लगाने के साथ साथ छत्तीसगढ़ सरकार को सत्य खबरों पर भी वैधानिक कार्रवाई किये जाने की गारंटी दिए जाने का वादा करना होगा | वर्ना लोकतंत्र और चौथे स्तंभ की स्वतंत्रता बरकार रखने में जुटे पत्रकारों का गला घोंटने मे  कोई कसर बाकि नहीं छोडी जावेगी।| छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि देशभर में फेक न्यूज पर रोक लगाने की मांग पुरजोर उठ रही है | लेकिन सही खबरों पर वैधानिक कार्रवाई को लेकर  चुप्पी साध ली जाती है || गंभीर बात यह है कि फेक न्यूज पर पाबंदी लगाने वाली कमेटी में छत्तीसगढ़ सरकार ने किसी भी न्यायाधीश को सदस्य बनाने में भी कोई रूचि नहीं दिखाई |इसकी क्या गारंटी है कि सत्ता के करीब रहने वालों को फेक न्यूज कमेटी का सदस्य बना देने से वे   चौथे स्तंभ का गला घोंटने तभा पत्रकारों और माध्यम समुहों को प्रतांडित करने का षडयंत्र नहीं करेगें ? | इसलिए यह फैसला विधिवत है या नहीं इस पर बहस जरूरी  है क्योंकि जबतक शंका और कुशंका का उचित निवारण होना ही चाहिए। 
      फ़िलहाल तो छत्तीसगढ़ से यह खबर आ रही है कि छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से राज्यस्तरीय समिति द्वारा चिन्हांकित की गई फेक न्यूज पर चेतावनी जारी की है । | छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गठित राज्य स्तरीय फेक न्यूज नियंत्रण एवं विशेष माॅनिटरिंग सेल की बैठक 5 मार्च 2020 को हुई, जिसमें विगत कुछ दिनों से तेजी से प्रचारित-प्रसारित की जा रही फेक न्यूज को संज्ञान में लेकर कुछ फेक खबरों को व्यापक जनहित में अहितकारी मानते हुए उनकी सूची जारी की गई तथा ऐसी खबरों के प्रकाशन, प्रसारण, अग्रेषण आदि से बचने हेतु चेतावनी जारी की गई।
       छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य स्तरीय माॅनिटरिंग सेल की बैठक आज पुलिस महानिरीक्षक  आनंद छाबड़ा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई, जिसमें सदस्य के रूप में  आरिफ शेख, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक,  के.के. शुक्ला, जिला शासकीय अधिवक्ता,  पत्रकार श्रीमती रश्मि अभिषेक मिश्रा तथा  आवेश तिवारी तथा सदस्य-सचिव उमेश मिश्र, संयुक्त सचिव, जनसम्पर्क उपस्थित थे। बैठक में विभिन्न आपत्तिजनक समाचारों पर विस्तार से चर्चा की गई। माॅनीटरिंग सेल ने प्रथम दृष्टया पाया कि एन.आर.सी. की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में स्टेट रजिस्टर आॅफ जर्नलिस्ट, छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस प्रभावितों को लेकर अतिश्योक्तिपूर्ण दावे, आयकर छापों को लेकर अतिश्योक्तिपूर्ण तथा तथ्यहीन समाचार, मुख्यमंत्री की उपसचिव के भूमिगत होने और उनके निवास से 100 करोड़ नगद बरामदगी की फर्जी खबर, कोल घोटाले में पूर्व मुख्य सचिव का हाथ जैसी खबरें सोशल मीडिया के साथ प्रिंट मीडिया में भी बड़े पैमाने पर आई हैं। माॅनीटरिंग सेल ने ऐसी खबरें जारी करने तथा अग्रेषित करने वाले, व्हाट्सएप समूह के एडमिन, मीडिया हाउस के संचालक और सम्पादकों की भूमिका के संबंध में विस्तृत जानकारी एकत्र करने का निर्णय लिया है। बैठक में निर्णय लिया गया कि अब बैठक कम अंतराल में हों तथा ऐसी खबरों के संबंध में शिकायतें ई-मेल से भी प्राप्त की जाएं। इस संबंध में यदि शिकायतकर्ता को कहीं दिक्कत होती है तो वह राज्यस्तरीय समिति के ई-मेल


आई.डी. fakenews.shikayat@gmail.com पर शिकायत भेज सकता है। फेक न्यूज पर अंकुश लगाने के लिए जनभागीदारी से अभियान चलाने पर भी विचार किया गया। आवश्यकतानुसार माॅनीटरिंग सेल आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने की पहल भी करेगी।
बहरहाल छत्तीसगसढ़ के पत्रकार नैसिर्ग न्याय सिद्धांत का हवाला देते हुए राज्य सरकार और प्रशासन के संज्ञान में यह तथ्य लाना चाहते है कि सिर्फ फेक न्यूज पर लगाम लगाने से काम नहीं चलने वाला | इन सब से ज्यादा जरूरी यह है कि छ्त्तीसगढ़ सरकार द्वारा गठित राज्य स्तरीय फेक न्यूज.नियंत्रण व विशष माँनिर्टरिंग सेल् का गठन कितना सकारात्मक पहल सिद्ध होता है ,यह भविष्य के गर्भ में है लेकिन फिलहाल तो इस पहल पर कई तरह की वातें कहीं और सुनी जा रही है।
*बुघवार बहुमाध्यम समुह