सत्ता के मद में चूर हुये जा रहे हैं नीतीश समर्थक?

सत्ता के मद में चूर हुये जा रहे हैं नीतीश समर्थक?
कृष्ण देव सिंह
    पटना (बुस) सामान्यतः मैं कई कारणों से बिहार की राजनीति में किसी भी स्तर पर दखल नहीं देता हूँ  हलांकि मेरी पैतृक कर्मभूमि. होने के कारण कई बार अपेक्षा की जाती रही है I लेकिन पत्रकारिता के दृष्ट्र से बिहार की राजनीति तथा सामाजिक मुददों पर अपनी राय रखने में कभी कोताही नही किया है। मैं मानता हूँ बिहार की राजनीति और सामाजिक समीकरणों को बदलने में कुछ अंचल विशेष की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रहती हैं। उन्हीं में से एक आज भी  नालन्दा जिला / अंचल  अपना महत्व बनाये हुए है। मेरा मानना है कि जो भी नेता / दल ऐसे संम्वेदनशील इलाकों में सत्ता के मद में चूर होकर अपनी मर्यादा. भूल जाता है , तो ३न्हीं जनता उसको अर्स से फर्स पर पटकने का शुभारम्भ कर देती है। अगर समय रहते जदयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने ऐसे अतिज्ञानी समर्थकों को संभाल नहीं सके तो मुक्षे डर है कि नालन्दा जिला से. ही कहीं जदयू का समापन की पटकथा न लिख दी जावे।
         नीतीश कुमार की राजनीति में नालन्दा जिला और पटना की गाँधी मैदान में आयोजित कुर्मी जाति का महाकुम्भ का सर्वाधिक महत्व है। दोनों का गहरा सम्बन्ध नालन्दा की कुर्मी जाति / समाज से है। हिन्दुस्तान में नालन्दा को कुर्मिस्तान कहा जाता है। अगर कुर्मीस्तान ने बगावत शुरू कर दिया तो नीतीश जी और उनके प्रमुख सिपहसलार आर सी पी सिंह कहाँ जावेगें, वे ही आनें। इतिहास गवाह है नालन्दा ने देश के जाने माने हिन्दी के विद्वान त्रिपूरा के पूर्व राज्यपाल व पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रो० सिद्येश्वर प्रसाद ऐसा नकारा कि वे आज तक राजनीतिक वियावान में हैं। वे भी सिर्फ इस लिए हैं क्योंकि कुर्मी जात की जब आबरू पर बात आई तब उन्होंने राजनीति को महत्व दिया। लेकिन स्व० ३न्द्र देव चौघरी, अरूण चौधरी जैसे सैंकड़ों  रणवाकुरों ने जेल की जिन्दगी स्वीकार किया पर कुर्मी जाति की मान - मर्यादा पर आँच नही आने दी । परन्तु फिर.नीतीश सरकार व उनके मद्दान्ध समर्थकों ने अपने पन्द्रह वर्षों में कुछ ऐसे कार्य किये हैं जिस पर आज भी भारी आक्रोश / असहमति आम जनता में हैं। अगर जदयू ने विपक्ष को हवा डालने का मौका दिया तो नीतीश जी को भारी दिक्कतों का कहीं सामना न करना पडे।
          वैसे तो मैं कई मुददे' / तथ्य रख सकता हूँ लेकिन मर्यादा इजाजत. नहीं दे रही हैं। फिर भी नीतीश जी के एक विद्वान . व प्रभावशाली समर्थक / जदयू सदस्य ने फेसबुक पर नालन्दा के जदयू के लोकसभा सदस्य के वारे लिखे गये पोस्ट मूलतः पेस्ट इस उम्मिद से दे रहा हूँ कि ३सका निहितार्थ राजनीतिक व सामाजिक . मामलों में रूचि रखने वाले समक्ष जावेगें ::-
     नालंदा के माननीय सांसद मंद बुद्धि हैं या अहंकारी ?
सन २००९ में इनसे बिहार निवास में मिनटों की मुलाकात से लेकर इनके सरकारी फ्लैट पर घंटों तक वन टू वन मुलाकात हुई . बिहारी आदत के अनुसार मेरा गांव  का नाम पुछे . चुंकि मेरे गांव में उनकी दुर - दुर तक रिश्तेदारी नहीं है , इसलिए वे अपने सरीखे किसी होशियार युवक का नाम पुछे और फिर संतुष्ट हुए . एक दुसरे गांव के  रिश्तेदार का नाम बताने पर वे बडे गौरवांवित होकर बोले कि वे मेरे मित्र हैं .
व्यक्तिगत तौर पर तो नहीं , लेकिन आदरणीय नीतीश जी और आरसीपी साहब के विश्वासपात्र होने के कारण मेरी इनके प्रति प्रतिबद्धता आपसे छुपी हुई नहीं है .
इसी ३० अगस्त जुम्मे के दिन संध्या ५ - ६ बजे वे जदयू कार्यालय पहुंचे . मैं भी पहिली मंजिल के एक भीतरी कमरे में कंप्यूटर के सामने बैठा अपनी सदस्यता पक्की करवा रहा था . वे सामने दरवाजे पर दिखे . मैं लपक कर हाथ जोडकर उन्हें प्रणाम किया . उन्हीं के द्वारा पिलायी गयी चाय और उनके आतिथ्य को उन्हें याद दिलाया . वे क्या बोले , मैंने नहीं सुना और वे दरवाजे से पीछे हो गये . 
मैं लौट कर अपना काम करने लगा . लगभग पंद्रह मिनट बाद मैं कमरे से निकला तो देखा कि रिसेप्शन वाले  कमरे के पुरब - दक्षिण के एक कोने में ५ - ६ स्टाफ के साथ बैठ कर वे गप्प कर रहे हैं . 
मैं  दाईं ओर फिर उन पर एक नजर डाला और बाहर निकल कर सीढियां उतरने लगा ... (बुधवार समाचार)
11अक्टुबर2019