. - पर्यटन-
वैशाली:जिसने विश्व का पहला गणराज्य दिया
वैशाली के बिना भारत और विशेषकर बिहार का इतिहास अधूरा है। ,पूरे विश्व में लोकतंत्र की लालिमा इसी वैशाली की धरती से फैली थी।वैशाली का इतिहास हर मामले में गौरवपूर्ण व ऐतिहासिक रहा है। कभी यहां लगभग सात सौ से ज्यादा जनप्रतिनिधि लिच्छवी गणराज्य का शासन चलाया करते थे।वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र यानि “रिपब्लिक” कायम किया गया था।
वैशाली के कई संदर्भ जैन धर्म और बौद्ध धर्म से संबंधित ग्रंथों में पाए जाते हैं, जिसमे वैशाली और अन्य शहरों के बारे में जिक्र है।
पहले यह पुराने मुजफ्फरपुर जिले का हिस्सा था।
हाजीपुर, वैशाली के जिला मुख्यालय का नाम हाजी इलियास शाह नामक बंगाल के राजा के नाम पर रखा गया था।यह पटना से 55,हाजीपुर सै 35,मुज्जफरपुर से 37 ,गया से 163तथा राजगीर से145किलोमीटर की दुरी पर स्थित हैा
.महात्मा बुद्ध का प्रिय नगर वैशाली राजा विशाल के नाम पर रखा गया है। गौतम बुद्ध ने अपना आखिरी उपदेश यहीं पर दिया और इस पवित्र भूमि पर अपनी पारिनीवणा (ज्ञान की प्राप्ति) की घोषणा की।
यह अम्बपाली(आम्रपाली) की भूमि के रूप में भी जानी जाती है, जो एक महान नृत्यांगना थी।आचार्य चतुरसेन की पुस्तक " वैशाली की नगर वधु " में इसकी विस्तृत जानकारी मिलती है।
इसका प्राचीन नाम विशाला था जिसका उल्लेख बाल्मीकि कृत रामायण में भी मिलता है। बज्जिका तथा हिन्दी यहाँ की मुख्य बोली है। भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के कारण जैन धर्म के मतावलंबियों के लिये वैशाली एक पवित्र नगर है।
रामधारी सिंह ' दिनकर ' के शब्दों में
वैशाली जन का प्रतिपालक, विश्व का आदिविधाता,
जिसे ढूंढता विश्व आज, उस प्रजातंत्र की माता॥
रुको एक क्षण पथिक, इस मिट्टी पे शीश नवाओ,
राज सिद्धियों की समाधि पर फूल चढ़ाते जाओ.
दर्शनीय स्थल ;
अशोक स्तंभ
बौद्ध स्तूप
अभिषेक पुष्करणी
विश्व शांति स्तूप
बावन पोखर मंदिर
राजा विशाल का गढ़
कुण्डलपुर (कुंडग्राम)
अशोक स्तंभ:
वैशाली में कोल्हुआ के निकट आनंद स्तूप के पास बना अशोक स्तंभ|सम्राट अशोक ने वैशाली में हुए महात्मा बुद्ध के अंतिम उपदेश की याद में नगर के समीप सिंह स्तंभ की स्थापना की थी। पर्यटकों के बीच यह स्थान लोकप्रिय है। अशोक स्तंभ को स्थानीय लोग इसे भीमसेन की लाठी कहकर पुकारते हैं। यहीं पर एक छोटा सा कुंड है, जिसको रामकुंड के नाम से जाना जाता है।
बौद्ध स्तूप :
दूसरे बौद्ध परिषद की याद में यहाँ पर दो बौद्ध स्तूपों का निर्माण किया गया है।
अभिषेक पुष्करणी:
बुद्ध स्तूप के निकट स्थित अभिषेक पुष्करणी
प्राचीन वैशाली गणराज्य द्वारा ढाई हजार वर्ष पूर्व बनवाया गया पवित्र सरोवर है। ऐसा माना जाता है कि वैशाली में जब कोई नया शासक निर्वाचित होता था तो उनको यहीं पर अभिषेक करवाया जाता था।
विश्व शांति स्तूप:
अभिषेक पुष्करणी के नजदीक ही जापान के निप्पोनजी बौद्ध समुदाय द्वारा बनवाया गया विश्व शांतिस्तूप स्थित है।बावन पोखर मंदिर:पालकालीन मंदिर में हिन्दू देवी देवताओं की मूर्ति बनी है।
राजा विशाल का गढ़:
यह वास्तव मे एक छोटा सा टीला है, जो एक किलोमीटर की परिधि में है।
यह प्राचीनतम संसद भवन था जिसमें सभी सांसद बैठ कर मीटिंग करते थे।
कुण्डलपुर (कुंडग्राम):
यह जगह भगवान महावीर का जन्मस्थान होने के कारण काफी लोकप्रिय है। यह स्थान जैन धर्मावलंबियों के लिए काफी पवित्र माना जाता है। वैशाली से इसकी दूरी 4 किलोमीटर है।
सोनपुर का पशु मेला:
विश्व प्रसिद्द सोनपुर का पशु मेला भी आप सोनपुर में देख सकते हैं ।वैशाली महोत्सव ,वैशाली म्यूजियम
भी यहां देखा जा सकता है।
पटना से वैशाली के लिए सीधी बस सेवा है ।
हाजीपुर सीधे रेल द्वारा भारत के हर जगह जुड़े हुए हैं।
मुजफ्फरपुर से बस द्वारा जाना बहुत आसान है।
वायुमार्ग के लिए पटना आना पडेगा। पटना तक वायुमार्ग उपलब्ध है।
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