छ्त्तीसगढ़ के मंत्रियों की बढ़ रहीं हैं धड़कने?
केंड़ी सिंह
छ्त्तीस गढ़ में कांग्रेस और भाजपा बढ़चढ़ कर अपनी-अपनी जीत के दावे की हैं। मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भुपेश वधेल 11सीटों पर जीतने का दावा किया हैं तो पूर्व मुख्य मंत्री डा रमन सिंह पुरानी जीत अर्थात10 सीटों पर भाजपा को जीतता हुआ देख रहे हैं। कांग्रेस उम्मीदवारों को इन चुनावों में तीन स्तरों पर अलग-अलग संघर्ष करना पड़ा है। पहला तो उन्हें अपने दल के भीतर असहमति रखने वालों को सक्रिय करने की मशक्कत करना पड़ी तो दूसरे उन्हें भाजपा उम्मीदवार से दो-दो हाथ करना पड़े वहीं तीसरे इस सबसे हटकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी उन्हें जूझना पड़ा है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की एकमात्र कोशिश यह रही है कि चुनाव परिदृश्य में उनके उम्मीदवारों का चेहरा गौण हो जाए और मोदी का चेहरा ही आगे रखा जाए। कांग्रेस ने इस स्थिति को देखते हुए राहुल गांधी के भी काफी दौरे कराये ।जहां तक दावों का सवाल है कौन अपने दावों के ज्यादा नजदीक पहुंचता है यह इस बात पर निर्भर करेगा कि मतदाता बड़ी संख्या में मतदान करने मोदी को जिताने के लिए आया या फिर मोदी को हराने के लिए? दोनों ही स्थिति में चुनावी नतीजे आश्चर्यचकित करने वाले हो सकते हैं। प्रदेश में भुपेश. बघेल ने सरकार के सभी मंत्रियों को दो टूक शब्दों में चेतावनी दे रखी है कि जिनके क्षेत्र में कांग्रेस को बढ़त मिलनी चाहिए | इस सूरत में अब 23 मई यानी मतगणना के दिन तक सरकार के मंत्रियों की धड़कने बढ़ी ही रहेंगी और उन पर यह दबाव रहेगा कि पता नहीं किसको अपनी जेब में इस्तीफा लेकर न जाना पड़े।
प्रदेश में लोकसभा क्षेत्रों में यदि 2014 के नतीजे देखे जायें तो10सीटों पर भाजपा काबिज है, कांग्रेस को खोने को कुछ खास नहीं है लेकिन पाने की अनन्त संभावनाएं तलाशते हुए वह भाजपा से कुछ सीटें छीनने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दी है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ ही पहली बार प्रियंका गांधी को भी पार्टी ने चुनाव प्रचार में उतार दिया ताकि वह भाजपा से कुछ सीटें छीन ले। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रदेश में कांग्रेस के लिए वोट मांगने तूफानी चुनाव प्रचार किया तो उनके साथ ही उनकी सरकार के दो वरिष्ठ मंत्री टी.एस. सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू ने भी चुनाव प्रचार में भाग लिया। संवैधानिक पद पर होने के बावजूद वहां की विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महन्त ने कोई सार्वजनिक सभा तो नहीं ली लेकिन अपने पुराने संपर्कों को ताजा करते हुए कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश उन्होंने भी की। भाजपा के चुनाव प्रचार अभियान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के अलावा सारा दारोमदार राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डा० २मन सिंह के कंधों पर रहा।
जहां तक कांग्रेस का सवाल है चुनाव प्रचार अभियान की कमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री भुपेश वधेल ने संभाली तो भाजपा में प्रदेश स्तर पर मोर्चा पूर्व मुख्यमंत्री डा० रमन सिंह और दिग्गज भाजपा नेता वृजमोहन अग्रवाल ने संभाला। कांग्रेस से राहुल गांधी ने को कोरबा, दुर्ग यादि लोकसभा सीटों पर दस्तक दी तो भाजपा में प्रधानमंत्री मोदी और अध्यक्ष अमित शाह ने डे दर्जन सभाएं लीं ।
छत्तीसगढ़ में चुनाव जल्द ही पूरा होने के बाद सबसे अधिक फायदा वहां के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उठाया जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। मध्यप्रदेश में प्रचार के दौरान उन्होंने अनेक सभाएं लीं तो प्रियंका के रोड-शो में इंदौर के साथ वाराणसी में भी नजर आये साथ ही अमेठी व रायबरेली में भी उन्होंने अपनी दस्तक दी। कांग्रेस के वे इकलौते मुख्यमंत्री रहे जिन्होंने अन्य मुख्यमंत्रियों की तुलना में अपने राज्य से बाहर जाकर प्रचार अभियान में भाग लिया। भाजपा के प्रचार अभियान में गृहमंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी सहित अनेक केंद्रीय मंत्रियों के साथ ही मुख्यमंत्रियों योगी आदित्यनाथ और देवेंद्र फड़नवीस ने भी अपनी आमद दर्ज कराई, जबकि शिवराज के बाद प्र केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने सर्वाधिक 26 सभाएं लीं। कमलनाथ ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ 20 चुनावी सभाओं व रोडशो में भाग लिया। तो शिवराज ने मध्यप्रदेश में 144 और उत्तरप्रदेश, बिहार, असम, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, नई दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र एवं आंध्र मिलाकर कुल 218 सभाऐं लीं,
प्रदेश की सभी 10 सीटों पर हो रहा है कड़ा चुनावी मुकाबला होने की यू तो संभावना बताई जा रही है क्योंकि भाजपा ने अप्रत्याशित वापसी की है। जबकि विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने कुल90 क्षेत्रों में से 68 सीटों पर कब्जा कर भाजपा को मात्र 25 क्षेत्रों पर सिमटा दिया था । प्रेक्षक मानते है कि बघेल सरकार ने किसानों के लिये किये गये वादा पूर्ति के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस को विशेष लाभ होगा जबकि १ाहरी क्षेत्रों में मोदी लहर का लाभ भाजपा को मिलेगा । कुल मिलाकर अलग - अलग तर्क दिये जा रहे हैं। पर सामान्यतः चर्चा है. कि दुर्ग, रायपुर, विलासपुर , रायगढ़, जांजगीर.. सरगुजा ,महासमुन्द.तथा राजनांदगाँव में मुकावला है तो कांकेर और कोरबा कांग्रेस के खाते में जा २ही है जबकि बस्तर में भाजपा की वापसी की संभावना वताई जा २ही है। कुल मिलाकर 23 मई की चुनावी मतगणना के परिणाम पर सबकी नजर है क्योंकि लोक सभा चुनाव परिणाम के वाद देश और प्रदेश की राजनीति में भारी उलटफेर होने की प्रवल संभावना है।
**बुघवार मल्टीमीडिया नेटवर्क
दिनांक16,मई2019