बिहार भरा पड़ा.है नदियोँ,क्षरनों,पहाडों,किलों और मंदिरों से
कृष्ण देव सिंह
रायपुर 21नबम्बर2019.मैंने कभी भी किसी भी कारण इस बात को कभी नहीं छुपाया कि बिहार मेरे पुरखों की भूमि है और वर्ष2000 में मेरे पूज्य पिताश्री के स्वर्गवास के वाद.नियमित रन्प से अपने पुरखों का गाँव जाता हूँ और अपने सामाजिक व धार्मिक दायित्वों को निभाता हूं। मेरे पारिवारिक कुण्बे में बडे भाई साहव के स्वर्गवास के वाद सामाजिक ब नैतिक जिम्मेदारी मेरे कन्धे पर आ गया है। अपने पूर्वजों की कर्मभूमि के वारे में मेरी जानकारी अच्छी-खासी है लेकिन बहुत कम स्थानों पर मैं गया हूँ| मैं आज बहुत खुश हूं कि मेरे फेसबुक मित्रों की मदद से बिहार के घार्मिक व पर्यटन स्थलों को नये सिरे. से जानने का अवसर मिलने लगा है।
' बिहार भरा पड़ा है नदियों से , झरनों से , किलों से , पहाड़ों से , मंदिरों से।यह प्राचीन काल में मगध नाम से ज्ञात था और इसकी राजधानी पटना को पाटलिपुत्र के नाम से। बिहार का इतिहास उतना ही पुराना है जितना भारत। यहां मौर्य, गुप्त आदि राजवंशो ने राज किया। बिहार वो राज्य है जो भारत के इतिहास में साहित्यिक, ऐतिहासिक, धार्मिक सभी स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।और आज भी बिहार शिक्षा, संस्कृति और समाजिक -दृष्टि से उतना ही समृद्ध है जितना पहले था।
दुनिया का सबसे पहला गणराज्य बिहार के वैशाली में स्थापित किया गया था।2600 साल पहले बिहार को सबसे ज्यादा शांतिप्रिय यानी अहिंसा प्रिय भूमि कहा जाता था।बोधगया और पावापुरी में लोग शांति प्राप्त करने के लिये आते थे और आज भी आते हैं।
भारत के चार महान राजा इसी राज्य से थे- समुद्र गुप्त, सम्राट अशोक, राजा विक्रमादित्य और चंद्रगुप्त मौर्य।
पुरातन काल में संस्कृति और सत्ता के बारे में अध्ययन करने के लिये दुनिया भर से लोग यहां आया करते थे।
भारतीय सभ्यता की असली तस्वीर पाटलीपुत्र से ही उभरी थी। नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। बौद्ध और जैन धर्मों के अलावा सिख धर्म की जड़ें भी यहां से जुड़ी हैं। गुरुगोविंद सिंह का जन्म पटना में हुआ। पुरातन काल में बिहार देश की व्यापारिक राजधानी हुआ करती थी। तब देश का 40 फीसदी व्यापार सिर्फ मगध, वैशाली, मिथिला, विदेहा, अंग, साक्य प्रदेश, विज्जी, जनका से हुआ करता था।
बिहार वो राज्य है जहाँ चंपारण का विद्रोह हुआ जो ऐतिहासिक नज़रिये से बहुमूल्य घटना है।बिहार वो जगह हैं जहां गंगा, बागमती, कोषी, कमला, गंडक, घाघरा, सोन, पुनपुन, फल्गु, किऊल नदियाँ बहती हैं।बिहार में भाषाओं की भरमार है। अंगिका, भोजपुरी, मगही, मैथिली और वजिजका। ये सब भाषाएँ केवल बिहार की ही है।
बिहार के हर छोटे बड़े दर्शनीय स्थल की क्रमबार छःनिम्नांकित सर्किट में बांटा गया है:
1-बुद्धिष्ट सर्किट ;
वैशाली
केसरिया
पटना
राजगीर
पावापुरी
बोधगया
नालंदा
2-जैन सर्किट ;
पावापुरी
और
राजगीर , दोनों इसमें भी आते हैं।
नाथनगर ( भागलपुर )
3-रामायण सर्किट ;
टार ( भोजपुर )
अहिरौली (बक्सर )
राम रेखा घाट ( बक्सर )
प्रेतशिला पहाड़ , गया
गिद्धेश्वर , जमुई
काको , जहानाबाद
सिंहेश्वर स्थान , मधेपुरा
फुलहार , मधुबनी
सीता कुंड , मुंगेर
रामचौरा , वैशाली
अहिल्यास्थान , दरभंगा
जानकी मंदिर , पुनौरा सीतामढ़ी
हलेश्वर स्थान , सीतामढ़ी
पंथ पाकर , सीतामढ़ी
चंकी गढ़ ( जानकी गढ़ ) , चम्पारण
बाल्मीकि नगर , चम्पारण
4-सूफी सर्किट
मनेरशरीफ
खानकाह मुजीबिया
खानकाह इमॆदिया
दरगाह शरीफ
हाजीपुर कर्बला
हसनपुर , सिवान
बीबी कमाल साहिबा , काको
बड़ी दरगाह , बिहारशरीफ
छोटी दरगाह , नालंदा
5-गांधी सर्किट ;
मोतिहारी
हजारीमल धर्मशाला
भीतरबा आश्रम
ब्रिन्द्बा
श्रीरामपुर
कोएलडीह
अमोलबा
मुरली भैरहवा
सिरिसवा
हरदिया कोठी
सदाकत आश्रम
गांधी संग्रहालय
6-ईको सर्किट ;
ककोलत , नालंदा
भीमबांध , मुंगेर
इनमें से बहुत कम स्थानों पर मैं गया हूँ परन्तु जाने की प्रवल इच्छा है। बाकी ईश्वर की जैसी इच्छा ।
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